जो लोग ऊपर से,
संस्कारों की बातें करते हैं.
अपनों को रखते हैं धोखे में,
गैरों से मुलाकातें करते हैं.
शादी करते हैं धन की खातिर,
औरों के साथ,
देकर उसे नींद की गोली,
रात-भर गैरों-संग सोते हैं.
रंगे-हाथ पकडे जाने पर आरोप लगते हैं ,
उन पर जबरदस्ती करने का.
और खुद झूठे-मूठे रोते हैं.
पैसों के लिए ना जाने ,
कितनों की रंगीन रातें करते हैं.
जो लोग ऊपर से,
संस्कारों की बातें करते हैं.
अपनों को रखते हैं धोखे में,
गैरों से मुलाकातें करते हैं.
काम-वासना में रिश्तों को,
ताक पर रख देते हैं.
कोई साथ ना निभाए तो,
औरों के सामने बक देते है.
खुद संभलकर चलते नहीं,
औरों पर इल्जाम धरते हैं.
जो लोग ऊपर से ,
संस्कारों की बातें करते हैं.
अपनों को रखते हैं धोखे में,
गैरों से मुलाकातें करते हैं.
नग्नता की करते है नुमाईस,
जिस्म का धंधा करते हैं.
हर वक्त काम ये देखो,
कितना गन्दा करते हैं.
इशारे ये लोगों को बुलाने के,
आते-जाते करते हैं.
जो लोग ऊपर से ,
संस्कारों की बातें करते हैं .
अपनों को रखते हैं धोखे में,
गैरों से मुलाकातें करते हैं.
जो कभी अपनों के ना हो सके,
वो क्या किसी और के हो सकते हैं.
अपना मर भी जाये इनके लिए,
लाश पे उसकी ये नहीं रो सकते हैं.
अपनों की लाश पास होने पर भी,
मुस्काकर गैरों को बांहों में भरते हैं.
जो लोग ऊपर से ,
संस्कारों की बातें करते हैं.
अपनों को रखते हैं धोखे में,
गैरों से मुलाकातें करते हैं.
इनका ना कोई दोस्त,
ना कोई रिश्तेदार होता है.
ये तो देह का धंधा करते हैं ,
जिस्म-फरोसी से ही प्यार करते हैं.
इनके सिवा ना कहीं आया,
ना कहीं जाया करते हैं.
जो लोग ऊपर से ,
संस्कारों की बाते करते हैं.
अपनों को रखते हैं धोखे में,
गैरों से मुलाकातें करते हैं.
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