Tuesday 24 April 2012

209. पहली मुलाक़ात में

घूंघट ना उठाया उसने पहली मुलाक़ात में,
गले से लगाया उसने सिली-सिली रात में.


जुबां को ना खोला उसने पहली मुलाक़ात में,
अपना बना लिया उसने बात-बात में.


जरा भी ना मुस्कराया उसने पहली मुलाक़ात में,
दिल खोल हँसाया उसने गुदगुदी करके गात में.


कुछ भी ना समझाया उसने पहली मुलाक़ात में,
आँसूं भी टपका दिए उसने मेरे जज्बात में.


नाम भी ना बताया उसने पहली मुलाक़ात में,
दिल निकाल के थमा दिया उसने मेरे हाथ में.


नज़र ना उठाई उसने पहली मुलाक़ात में,
इशारों में सुला लिया उसने अपने साथ में.