Friday 6 July 2012

211. फेसबुक की दीवानी,की कहानी.


एक लड़की लगती मुझे जानी-पहचानी थी,
वो  शेरो शायरी की दीवानी थी,


वो फेसबुक पे बड़े शेर लिखा करती थी.
न जाने क्या-क्या बका करती थी.


कभी प्यार पे ,इज़हार पे,
कभी दोस्ती पे कभी यार पे.


एक रोज उसकी शादी हो गई,
गायब उसकी आज़ादी हो गई.


क्या पता घर खुशियों से आबाद हो गया,
या जालिम पति मिला और बर्बाद हो गया.


अब कभी भी वो हमें याद नहीं करती,
हमारी किसी भी अदा पे नहीं मरती.


उसका जीवन ही बदल गया है,
या दहेज़ के कारण जिस्म ही जल गया है.


अब शायद ही कभी ऐसा दौर आएगा,
जब उसकी जिन्दगी में खुशियों का भौर आएगा.


क्या शादी एक नए जन्म की सौगात देता है,
या खुशहाल जिन्दगी को बदहाल कर देता है.


ये तो वो ही बता सकती है जो गायब हो गई,
या हीरे-मोतियों का घर-ए-अजायब हो गई.