Monday 4 June 2012

210. तुम हमें चाहो,हम तुम्हें चाहें,


कुछ तुम चलो,कुछ हम चलें,
ये दूरियां,ये फासले खुद-बखुद मिट जायेंगे.


कुछ तुम भूलो,कुछ हम भूलें,
ये गम सारे ख़ुशी में बदल जायेंगे.


ना कुछ तुम कहो, ना कुछ हम कहें,
फिर बात अपने दिल कैसे समझा पाएंगे.


चुप तुम रहो ,चुप हम रहें,
राज-ए-दिल दिल में ही दफ़न हो जायेंगे.


कुछ तुम कहो ,कुछ हम कहें,
एक दूजे को समझ जायेंगे.


तुम हमें चाहो,हम तुम्हें चाहें,
रिश्ता ये प्यार का ता-उम्र निभाएंगे.