Friday 6 July 2012

211. फेसबुक की दीवानी,की कहानी.


एक लड़की लगती मुझे जानी-पहचानी थी,
वो  शेरो शायरी की दीवानी थी,


वो फेसबुक पे बड़े शेर लिखा करती थी.
न जाने क्या-क्या बका करती थी.


कभी प्यार पे ,इज़हार पे,
कभी दोस्ती पे कभी यार पे.


एक रोज उसकी शादी हो गई,
गायब उसकी आज़ादी हो गई.


क्या पता घर खुशियों से आबाद हो गया,
या जालिम पति मिला और बर्बाद हो गया.


अब कभी भी वो हमें याद नहीं करती,
हमारी किसी भी अदा पे नहीं मरती.


उसका जीवन ही बदल गया है,
या दहेज़ के कारण जिस्म ही जल गया है.


अब शायद ही कभी ऐसा दौर आएगा,
जब उसकी जिन्दगी में खुशियों का भौर आएगा.


क्या शादी एक नए जन्म की सौगात देता है,
या खुशहाल जिन्दगी को बदहाल कर देता है.


ये तो वो ही बता सकती है जो गायब हो गई,
या हीरे-मोतियों का घर-ए-अजायब हो गई.


Monday 4 June 2012

210. तुम हमें चाहो,हम तुम्हें चाहें,


कुछ तुम चलो,कुछ हम चलें,
ये दूरियां,ये फासले खुद-बखुद मिट जायेंगे.


कुछ तुम भूलो,कुछ हम भूलें,
ये गम सारे ख़ुशी में बदल जायेंगे.


ना कुछ तुम कहो, ना कुछ हम कहें,
फिर बात अपने दिल कैसे समझा पाएंगे.


चुप तुम रहो ,चुप हम रहें,
राज-ए-दिल दिल में ही दफ़न हो जायेंगे.


कुछ तुम कहो ,कुछ हम कहें,
एक दूजे को समझ जायेंगे.


तुम हमें चाहो,हम तुम्हें चाहें,
रिश्ता ये प्यार का ता-उम्र निभाएंगे.








Tuesday 24 April 2012

209. पहली मुलाक़ात में

घूंघट ना उठाया उसने पहली मुलाक़ात में,
गले से लगाया उसने सिली-सिली रात में.


जुबां को ना खोला उसने पहली मुलाक़ात में,
अपना बना लिया उसने बात-बात में.


जरा भी ना मुस्कराया उसने पहली मुलाक़ात में,
दिल खोल हँसाया उसने गुदगुदी करके गात में.


कुछ भी ना समझाया उसने पहली मुलाक़ात में,
आँसूं भी टपका दिए उसने मेरे जज्बात में.


नाम भी ना बताया उसने पहली मुलाक़ात में,
दिल निकाल के थमा दिया उसने मेरे हाथ में.


नज़र ना उठाई उसने पहली मुलाक़ात में,
इशारों में सुला लिया उसने अपने साथ में.








Tuesday 31 January 2012

208. देश न अपने बचा लो भाई


जूता फेंक के विरोध जतावं   स  ,
फिर  लात -घुसे खावं स .

इनकी जम क हो स पिटाई ,
इनके के थाव स भाई .

मगर इनकी मेहनत बेकार ना जाव स ,
खबर इनकी जब मिडिया क थाव स .

लात -घुसा की हो ज्या स भरपाई ,
जब हो ज्या स इनके मन की चाही .

महंगाई की मार ये भी झेल रे सं .
माला की जगह एक जूते से  काम ले रे सं .

बड़ी बढ़िया स रीत इन न चलाई .
समझ स सब कोई भाई .

ना सारे मुंह लीप क आ रे सं ,
एक शीशी से काम डिगा रे सं .

सब का घमंड चूर हो ज्या स भाई ,
बूते स बाहर औकात जिसने भी दिखाई .

यो जनता  जनार्दन का फैसला स ,
भ्रष्टाचार  का बड़ा मसला स .

कौन इसने मेटगा भाई ,
किसे की समझ म ना स आई .

नेताओं  का विदेशा में पड़ा धन काला स ,
देश की जनता बिन निवाला स .

अन्ना न स इब जनता जगाई ,
इसका साथ जरुर दो भाई .

ध्यान त सुन लो यो के चाह व स ,
भ्रष्टाचार न दूर भगाव स .

अपने देश न इब बचा लो भाई ,
कदे फेर डूब ज्या भाई .

याद करो उनकी क़ुरबानी,
 कितना खून बहाया स .

कितना जोर लगा क ,
गोराँ को भगाया स .

उसी ए मुसीबत देश पर स आई ,
सारे मिल क दिख दो भाई .

देश न अपने बचा लो भाई ,
देश प्रेम की ज्योत जगा लो भाई ...

207. के एंडी पाकै स तू छोरी


तेरी पकड़ी गई इब चोरी ,
के एंडी पाकै स तू छोरी .

आधी रात न फोन मिलाव ,
आगले दिन कि प्लान बताव .

घर का क थागी तेरी चोरी ,
के एंडी पाकै स तू छोरी.

दिन में नैन लड़ाव  स ,
रात न घर म बुलाव स .

तेरी रे रे माटी स होरी ,
के एंडी पाकै स तू छोरी .

तेरे लाड़ म लगा दू ,
म्हारी गली म ज तू आज्या,

तेरी खाट खड़ी करवा दू  ,
रंगे हाथा ज तू थाज्या.

तुडवा दू तेरी  डोरी ,
के एंडी पाकै स तू छोरी .

तेरी साईकिल सी तुडवा दू ,
तेरा मुंह काला करवा दू .
  
तेरे गोडे धरती में टिकवा दू ,
तेरे दोनों हाथ जुड़वाँ दू .

पाछे पड़ गे तेर गाम के सारे लोहरी ,
के एंडी पाकै स तू छोरी .

तेरी पकड़ी गई इब चोरी ,
के एंडी पाकै स तू छोरी ....

Monday 23 January 2012

206. मत करना बेवफाई हमसे भूलकर भी


मत करना बेवफाई हमसे भूलकर भी ,
वरना बेमौत मर जायेंगे .


हम लाख बदमाश ,आवारा  सही,
आपके पहलू में रहकर संवर जायेंगे .


सच पूछो तो कुछ भी नहीं है पास हमारे ,
एक टूटा हुआ दिल है इस पिंजर देह में ,
आपसे जुड़ सके तो जोड़ लेना ,
जीते जी आपके नाम कर जायेंगे .


कुछ भी नहीं दिया है ज़माने ने हमें ,
सिवा गम के ,
जीने का नहीं कोई सहारा ,
सिवा बीडी,सिगरेट ,रम के ,
ये भी छोड़ देंगे ,


जो सहारा आपका मिल जाये.
गम का मारा ये दिल ,


शायद आपका प्यार पाकर खिल जाये .
दुबारा रोशन हों महफ़िलें हमसे ,
साथ जो तेरा मिल जाये .


आपने जो संभाल  लिया ,
तो संभल जायेंगे .
मत करना बेवफाई हमसे भूलकर भी ,
वरना बेमौत मर जायेंगे .

205. जो गिरते हुए को संभाल ले


जब तकदीर  रूठ जाती है ,
तो इंसान लाख सँभालने पर भी गिर जाता है .


जो गिरते हुए को संभाल ले,
 वही तो खुदा का अवतार होता है.


यों तो लाखों आते जाते है राहों में ,
लाखों कि भीड़ में भी पहचान ले ,
वही तो आपका प्यार होता है ,


आँखों से देखकर तो कोई भी ,
इश्क लड़ाने लग जाता है ,
जो दिल की आँखों से  कोसों  की 
दूरी से भी पुकार ले ,
असल में वही तो अपना यार होता है .


हम क्या लेकर आये थे दुनिया में ,
कि लुटने का भये पाले बैठे हैं .
जो खुद को दूसरो पर लुटा दे ,
वही तो सबसे बड़ा दिलदार होता है .


उगते हुए सूरज को तो  सभी 
सलाम करते हैं अपनी गैरत में ,
जो डूबते हुए तारे का गम समझे ,
असल में वही तो अपना वफादार होता है .

Thursday 19 January 2012

204. अ! हसीना ,नाजनीना


अ! हसीना  ,नाजनीना ,
यों जुल्म ढहाना  छोड़ दो .

हो जायेगा अँधेरा महफ़िलों में ,
यों जुल्फ लहराना छोड़ दो .

समुन्द्र के किनारे पे,
नंगे बदन नहाना छोड़ दो ,

जल जायेंगे परवाने ,
ये शमा जलाना छोड़ दो ,

गलती छुपाने के वास्ते,
यों आंसूं बहाना छोड़ दो .

आ क्यों नहीं जाती बांहों में ,
बहाने बनाना छोड़ दो .

हो जाओ सिर्फ हमारी ,
यों लाखों का दिल बहलाना छोड़ दो.

लिख भी डालो अब कोई गजल ,
यों गुनगुनाना छोड़ दो .

अब घर बसा लो अपना भी ,
यों महफ़िलों में जाना छोड़ दो .

कैद हो जाओ मेरे दिल में ,
खुले में फदफदाना  छोड़ दो .

हो जायेगा तुम्हे भी प्यार ,
बस इश्क लड़ाना छोड़ दो .

203. बुढ़ापा वैरी जब आवै स


बुढ़ापा वैरी जब  आवै  स 
रग- रग म रोग लगावै स ,

ना कोई  चा- पानी पकडावे स ,
सारा कुनबा खान नै आवै स.

थूक म  भी बलगम आवै  स ,
कोई तासला भी ना सरकाव स .

जीवन साथी छोड़ ग्या साथ मेरा 
उसकी याद बड़ी सताव स .

इब कोई ना साथ निभाव स ,
मेरी नैया डूब दी जाव स .

खाट नै पकड़ लिया हाथ मेरा ,
इब कोई ना दे रया साथ मेरा .

इब कोई ना मैंने  नुहाव स ,
बेटा भी आँख दिखाव स ,

आँख्यां म कट ज्या रात मेरी ,
नींद कति ना आव स ,

हर ओई न्यू समझाव स ,
राम तने बुलाव स .

दर्द  घना सताव स ,
एक पल ना चैन आव स .

किसने कह दू बात मेरी ,
मेरे दिल म के के आव स ,

जिसने भी पास बुलाऊ सु ,
वो हे दूर भागना चाहव  स .


इब म देखू बाट  तेरी ,
कद सी मौत मेरी तू आव स .

इस देह  त  पैंडा छुड़ा दे न ,
मुक्ति मैंने दिला दे न .

कुछ भी सहा ना जाव स ,
जब बुढ़ापा वैरी आव स .

Monday 16 January 2012

202. ईद के चाँद हो गए हो


आजकल दिखाई नहीं देते ग़ालिब ,
ईद के चाँद हो गए हो .

या कोई बीमारी हो गई है,
और चंद दिनों के मेहमान हो गए हो .

क्या किसी पे दिल आ गया ,
और कुर्बान हो गए हो .

चार-चार लोगो की सवारी करके ,
क्या श्मशान चले गए हो .

खाली- खाली नज़र आती है सब गलियां ,
क्या इंसान हो गए हो .

जुदाई में मार डालोगे क्या ,
बड़े शैतान हो गए हो .

किसी ने कैद कर लिया क्या दिल में ,
किसके  दीवाने हो गए हो .

शमा पे जलकर मरने के वास्ते ,
परवाने हो गए हो .

उधर  भी नहीं जाते आजकल ,
क्या खुद मैयखाने हो गए हो .

आजकल दिखाई नहीं देते ग़ालिब ,
ईद के चाँद हो गए हो .

Sunday 15 January 2012

201. याद तुम्हारी बहुत आये तो क्या करें



याद तुम्हारी बहुत आये तो क्या  करें ,
तुम्हारा ख्याल दिल से न जाये तो क्या करें ,


सोचा था तुमसे सपनों में मुलाक़ात होगी ,
मगर कमबख्त नींद ही न आये तो क्या करें .


तुम्हारी जुदाई में नैन बरस जाएँ तो क्या करें ,
तुम्हे एक पल देखने को तरस जाएँ तो क्या करें 


प्यास नहीं बुझती देखकर तस्वीर को ,
मेरी तकदीर ही पलट जाये तो क्या करें .


मरना भी चाहें तेरी जुदाई में  मगर ,
साँस बीच में ही अटक जाएँ तो क्या करें .


कैद कर लिया खुद को तेरे दिल के कैदखाने में ,
बाहर निकलने में शर्म आये तो क्या करें .


चुपके से  मर जायेंगे तेरे दिल के एक कोने में ,
अब तू ही ना सम्भाल पाए तो क्या करें .


मिलना भी चाहें  तो किस तरह ,
ये फासले ही ना मिट पायें   तो क्या करें .

Saturday 14 January 2012

200. छोड़ कर मत चले जाना हमें


अकेली छोड़ के चले जाओगे दुनिया में ,
फिर भी खुद को आपकी अमानत बताते रहेंगे ,

लाख खुशियाँ  आ जाएँ तो क्या ,
आपके गम में आंसूं बहाते रहेंगे .

बस आपकी यादों के सहारे ,
जिन्दगी तमाम बिताते रहेंगे .

देखकर दिल -अ -आईने में तस्वीर आपकी ,
दिल को अपने बहलाते रहेंगे .

कभी तो होगी आपसे मुलाक़ात इस आस में 
आँसूओं से खुद को नहलाते रहेंगे .

तेरे ही प्यार को पाने के वास्ते ,
दुनिया में बार-बार आते रहेंगे .

जिन गलियों में आपके क़दमों की आहट,
उन गलियों में हरपल जाते रहेंगे  .

एक पल को भी जो नींद आ गई ,
सपनों में आपको बुलाते रहेंगे 

जुबान जो बंद हो जाएगी कभी ,
मन ही मन में आपका नाम बडबडाते रहेंगे .

छोड़ कर मत चले जाना हमें  ,
खुद को तेरे गम की आग में जलाते रहेंगे .

Sunday 8 January 2012

199. क्यों न हम कोई ऐसा काम कर जाएँ



क्यों न हम कोई ऐसा काम कर जाएँ ,
लोगों का जीना हराम कर जाएँ ,

ये ठीक नहीं होगा भाइयो ,
फिर से कोशिश करते हैं .

क्यों न हम कोई ऐसा काम कर जाएँ ,
सारे  संसार को बदनाम कर जाएँ ,

ये लो फिर से गलत हो गया,
एक बार और कोशिश करते हैं.

क्यों न हम कोई ऐसा काम  कर जाएँ ,
कि जो भी मिलें  हमें सलाम कर जाएँ .

उठे जब अर्थी तो हर माँ ये पुकारे-
तेरा अगला जन्म मेरी कौख से हो ,

इसका मै वर्षों तक इंतज़ार करुँगी .
मरते दम तक तुझे प्यार करुँगी .

हर बहन कि यही आवाज़ हो ,
भैया तेरे जैसा सारा समाज हो .

बहन बेटियों कि इज्जत बचाने  वाले ,
तेरे सर पर हमेशा जीत का ताज हो .

हर बाप को अपने पर नाज़ हो ,
जो तुझ जैसे पुत्र से घर आबाद हो ,

हर गली -मोहल्ले से यही हुंकार हो ,
हम सबका तुझ जैसा यार हो .

अब बोलो कैसा रहा ,ठीक कहा ?
पीछे पड़ गई दुनिया जहाँ ,

तो फिर से दोहराएँ ,
सबको अपना बनायें .

क्यों न हम ऐसा काम कर जाएँ ,
सारी दुनिया में अपना नाम कर जाये.

198.दिल न देना हमें


दिल न देना हमें ,
रहने को संसार ही काफी है .

न रहो मेरे पास हमेशा ,
तेरा एक पल का दीदार ही काफी है. 

सारी उम्र संग न रहना मेरे ,
तेरा थोड़े से दिन का प्यार ही काफी है .

मत करना फोन मुझे कभी ,
तेरा आँखों से इजहार ही काफी है .

मेरा साथ न दे सको तो सॉरी मत कहना ,
बस तेरा इशारो में इंकार ही काफी है .

कभी जीत न दिल किसी का गम नहीं,
मेरे लिए जिन्दगी में हार ही काफी है .

कितनो का ता-उम्र साथ निभाऊंगा ,
सबसे इसी तरह मैंने मांगी माफ़ी है .

Friday 6 January 2012

197. हम औरों के सामने


    • हम औरों के सामने मुस्कराते  ,रहते हैं
    • अपने सीने में गम को छुपाते रहते हैं I

    • जख्मों से छलनी है दिल का कोना-कोना ,
    • तस्वीर-अ-यार की फिर भी लगते रहते हैं I

    • बीती हुई बातों को कैसे भुला दें हम ,
    • उन्ही के सहारे तो जिन्दगी बिताते  रहते हैं I

    • कभी प्यार से रखा था एक नाम उसका ,
    • उसी नाम को सपनो में भी बडबडाते रहते हैं I

    • कोई भी आता है  गर नज़रों के सामने ,
    • एक उसी का नाम लेकर बुलाते रहते हैं I

    • तन्हा क्यों  छोड़ गई हमें बेदर्द ज़माने में,
    • इसी बात को चुइंगम की तरह चबाते रहते हैं I

    • लोग पागल कहते हैं हमेशा मुस्कराते देखकर ,
    • हम हैं कि सबको प्यार से गले लगते रहते हैं I

    • वो क्या जाने दर्द-अ-दिल कि हकीक़त ,
    • जो रोज नए-नये रिश्ते बनाते रहते हैं I

    • वो  प्यार का मतलब क्या जानें ,जो नाली को
    •  नदी समझकर कागज कि किश्ती चलते रहते हैं I

    • हम औरों के सामने मुस्कराते रहते हैं ,
    • दर्द-अ-दिल को छुपाते रहते हैं I I  

196. मै जब भी कोई गजल लिखूं


मै जब भी कोई गजल लिखूं 
तुम मेरे ख्याबो में आ जाया करो I

जब भी देखो मेरे हाथ में कलम ,
पकड़ के हाथ मेरा एक नई गजल लिख जाया करो I

तेरी  याद में जब भी लिखूं कविता कोई नई,
तेरे संग बिताई यादों का रंग इसमें भर जाया करो I

रात के पहले पहर में एक नए शहर में ,
मेरी तन्हाई को दूर कर जाया करो I

मै जब भी कोई गजल लिखूं .
तुम मेरे ख्वाबों में आ जाया करो I

जब सावन की ठंडी -ठंडी बयार हो ,
गर थोड़ा - सा भी मुझसे प्यार हो I

मै कांपने ना लग जाऊं  ठण्ड से ,
मेरी बाँहों में समा  जाया करो I

तेरी जुदाई में रोता हूँ रात-रात भर ,
तुम आंसूं मेरे पोंछ जाया करो I


मै जब भी कोई गजल लिखूं  ,
तुम मेरे ख्वाबों में आ जाया करो I  

 तन्हा देखकर मेरे कानो में  प्यार भरी ,
अपनी मोहब्बत की दास्ताँ ब्यान कर जाया करो I

तेरे जाने के गम में मेरी जान जब जाने लगे ,
मेरे लबों से लब सटाकर सांस नई भर जाया करो I

मरकर भी ना मरे  मोहब्बत अपनी ,
हर युग में मेरी महबूबा बनकर आ जाया करो I  

मै जब भी कोई गजल लिखूं ,
तुम मेरे ख्वाबों में आ जाया करो I  I

Thursday 5 January 2012

195. जब वक्त गुजर जाता है

वक्त गुजरता है तो यादें भी फिकी पड़ जाती हैं ,
मंजिल   बदलते ही  राहें भी बदल जाती हैं,

ये हुस्न का जादू  सदा रहने वाला नहीं ,
उम्र के साथ निगाहें भी बदल जाती हैं,

लाख कौसिस करते है इस जिस्म को सवारने में ,
वक्त के साथ ये देह भी जल जाती है ,

वक्त वक्त की बात है सही होने पर 
हवा भी बयार लगती है ,

वक्त बुरा जब आता है ,
ये ही हवा आंधी -तूफान में बदल जाती है ,

वक्त पे जल जीवन देता है ,
बेवक्त वही जल जलवा बन जाता है ,

वक्त पे करते है जो अपना काम ,
मिलते हैं उनको ही मेहनत  के दाम.

जब वक्त गुजर जाता है,
कोई यत्न ना फिर काम आता है . 

Tuesday 3 January 2012

194. यूं ना हँस के देखा करो तुम सबको

         यूं ना हँस के देखा करो तुम सबको ,
                     लोग इसको तेरी अदा समझ लेंगे .


                    यूं ना गर्दन को झुकाया करो तुम ,
                     लोग इसको तेरी रजा समझ लेंगे .
           
                    यूं ना गले लगाया करो तुम सबको ,
                    लोग इसको तेरी वफ़ा समझ लेंगे .
              
                    यूं ना घर में बुलाया करो तुम सबको ,
                    लोग इसको  वैसी  जगह समझ लेंगे .
               
                     यूं ना मुस्कराया करो तुम सबसे ,
                     लोग कुछ और ही वजह समझ लेंगे .
          
                    यूं ना दिल बहलाया करो तुम सबका ,
                    लोग तुमको उनपर  फ़िदा समझ लेंगे.


                    यूं ना जुल्फों को लहराया करो खोल के ,
                    लोग इनको काली घटा समझ लेंगे .
                      
                   यूं ना घूंघट उठाया करो तुम मुखड़े  से ,
                   लोग इसको चाँद का टुकड़ा समझ लेंगे .


                    यूं ना बातें बनाया करो तुम हरपल,
                    लोग इसको कोई लफड़ा समझ लेंगे .


                   यूं ना अंगड़ाई तोडा करो तुम सबके आगे ,
                    लोग तेरे बदन को बाँहों में जकड लेंगे .


                   यूं ना कमर को लचकाया करो गलियों में ,
                   कहीं गिर ना जाओ ये समझ कर पकड़ लेंगे                                                       
                                                                                                               
                   यूं ना खिड़की से झाँका करो हरदम ,                                                        
                   लोग अपने घरों को तुडवा लेंगे.                                                     
                       
                   तेरी अदाओ पे मरने को हर रोज ,
                    तेरे घर के सामने खिड़की लगवा लेंगे .