अ! हसीना ,नाजनीना ,
यों जुल्म ढहाना छोड़ दो .
हो जायेगा अँधेरा महफ़िलों में ,
यों जुल्फ लहराना छोड़ दो .
समुन्द्र के किनारे पे,
नंगे बदन नहाना छोड़ दो ,
जल जायेंगे परवाने ,
ये शमा जलाना छोड़ दो ,
गलती छुपाने के वास्ते,
यों आंसूं बहाना छोड़ दो .
आ क्यों नहीं जाती बांहों में ,
बहाने बनाना छोड़ दो .
हो जाओ सिर्फ हमारी ,
यों लाखों का दिल बहलाना छोड़ दो.
लिख भी डालो अब कोई गजल ,
यों गुनगुनाना छोड़ दो .
अब घर बसा लो अपना भी ,
यों महफ़िलों में जाना छोड़ दो .
कैद हो जाओ मेरे दिल में ,
खुले में फदफदाना छोड़ दो .
हो जायेगा तुम्हे भी प्यार ,
बस इश्क लड़ाना छोड़ दो .
No comments:
Post a Comment