Thursday 19 January 2012

204. अ! हसीना ,नाजनीना


अ! हसीना  ,नाजनीना ,
यों जुल्म ढहाना  छोड़ दो .

हो जायेगा अँधेरा महफ़िलों में ,
यों जुल्फ लहराना छोड़ दो .

समुन्द्र के किनारे पे,
नंगे बदन नहाना छोड़ दो ,

जल जायेंगे परवाने ,
ये शमा जलाना छोड़ दो ,

गलती छुपाने के वास्ते,
यों आंसूं बहाना छोड़ दो .

आ क्यों नहीं जाती बांहों में ,
बहाने बनाना छोड़ दो .

हो जाओ सिर्फ हमारी ,
यों लाखों का दिल बहलाना छोड़ दो.

लिख भी डालो अब कोई गजल ,
यों गुनगुनाना छोड़ दो .

अब घर बसा लो अपना भी ,
यों महफ़िलों में जाना छोड़ दो .

कैद हो जाओ मेरे दिल में ,
खुले में फदफदाना  छोड़ दो .

हो जायेगा तुम्हे भी प्यार ,
बस इश्क लड़ाना छोड़ दो .

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