Friday 6 January 2012

197. हम औरों के सामने


    • हम औरों के सामने मुस्कराते  ,रहते हैं
    • अपने सीने में गम को छुपाते रहते हैं I

    • जख्मों से छलनी है दिल का कोना-कोना ,
    • तस्वीर-अ-यार की फिर भी लगते रहते हैं I

    • बीती हुई बातों को कैसे भुला दें हम ,
    • उन्ही के सहारे तो जिन्दगी बिताते  रहते हैं I

    • कभी प्यार से रखा था एक नाम उसका ,
    • उसी नाम को सपनो में भी बडबडाते रहते हैं I

    • कोई भी आता है  गर नज़रों के सामने ,
    • एक उसी का नाम लेकर बुलाते रहते हैं I

    • तन्हा क्यों  छोड़ गई हमें बेदर्द ज़माने में,
    • इसी बात को चुइंगम की तरह चबाते रहते हैं I

    • लोग पागल कहते हैं हमेशा मुस्कराते देखकर ,
    • हम हैं कि सबको प्यार से गले लगते रहते हैं I

    • वो क्या जाने दर्द-अ-दिल कि हकीक़त ,
    • जो रोज नए-नये रिश्ते बनाते रहते हैं I

    • वो  प्यार का मतलब क्या जानें ,जो नाली को
    •  नदी समझकर कागज कि किश्ती चलते रहते हैं I

    • हम औरों के सामने मुस्कराते रहते हैं ,
    • दर्द-अ-दिल को छुपाते रहते हैं I I  

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