हम औरों के सामने मुस्कराते ,रहते हैं- अपने सीने में गम को छुपाते रहते हैं I
- जख्मों से छलनी है दिल का कोना-कोना ,
- तस्वीर-अ-यार की फिर भी लगते रहते हैं I
- बीती हुई बातों को कैसे भुला दें हम ,
- उन्ही के सहारे तो जिन्दगी बिताते रहते हैं I
- कभी प्यार से रखा था एक नाम उसका ,
- उसी नाम को सपनो में भी बडबडाते रहते हैं I
- कोई भी आता है गर नज़रों के सामने ,
- एक उसी का नाम लेकर बुलाते रहते हैं I
- तन्हा क्यों छोड़ गई हमें बेदर्द ज़माने में,
- इसी बात को चुइंगम की तरह चबाते रहते हैं I
- लोग पागल कहते हैं हमेशा मुस्कराते देखकर ,
- हम हैं कि सबको प्यार से गले लगते रहते हैं I
- वो क्या जाने दर्द-अ-दिल कि हकीक़त ,
- जो रोज नए-नये रिश्ते बनाते रहते हैं I
- वो प्यार का मतलब क्या जानें ,जो नाली को
- नदी समझकर कागज कि किश्ती चलते रहते हैं I
- हम औरों के सामने मुस्कराते रहते हैं ,
- दर्द-अ-दिल को छुपाते रहते हैं I I
Friday, 6 January 2012
197. हम औरों के सामने
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