Thursday 19 January 2012

203. बुढ़ापा वैरी जब आवै स


बुढ़ापा वैरी जब  आवै  स 
रग- रग म रोग लगावै स ,

ना कोई  चा- पानी पकडावे स ,
सारा कुनबा खान नै आवै स.

थूक म  भी बलगम आवै  स ,
कोई तासला भी ना सरकाव स .

जीवन साथी छोड़ ग्या साथ मेरा 
उसकी याद बड़ी सताव स .

इब कोई ना साथ निभाव स ,
मेरी नैया डूब दी जाव स .

खाट नै पकड़ लिया हाथ मेरा ,
इब कोई ना दे रया साथ मेरा .

इब कोई ना मैंने  नुहाव स ,
बेटा भी आँख दिखाव स ,

आँख्यां म कट ज्या रात मेरी ,
नींद कति ना आव स ,

हर ओई न्यू समझाव स ,
राम तने बुलाव स .

दर्द  घना सताव स ,
एक पल ना चैन आव स .

किसने कह दू बात मेरी ,
मेरे दिल म के के आव स ,

जिसने भी पास बुलाऊ सु ,
वो हे दूर भागना चाहव  स .


इब म देखू बाट  तेरी ,
कद सी मौत मेरी तू आव स .

इस देह  त  पैंडा छुड़ा दे न ,
मुक्ति मैंने दिला दे न .

कुछ भी सहा ना जाव स ,
जब बुढ़ापा वैरी आव स .

No comments:

Post a Comment