मै जब भी कोई गजल लिखूं
तुम मेरे ख्याबो में आ जाया करो I
जब भी देखो मेरे हाथ में कलम ,
पकड़ के हाथ मेरा एक नई गजल लिख जाया करो I
तेरी याद में जब भी लिखूं कविता कोई नई,
तेरे संग बिताई यादों का रंग इसमें भर जाया करो I
रात के पहले पहर में एक नए शहर में ,
मेरी तन्हाई को दूर कर जाया करो I
मै जब भी कोई गजल लिखूं .
तुम मेरे ख्वाबों में आ जाया करो I
जब सावन की ठंडी -ठंडी बयार हो ,
गर थोड़ा - सा भी मुझसे प्यार हो I
मै कांपने ना लग जाऊं ठण्ड से ,
मेरी बाँहों में समा जाया करो I
तेरी जुदाई में रोता हूँ रात-रात भर ,
तुम आंसूं मेरे पोंछ जाया करो I
मै जब भी कोई गजल लिखूं ,
तुम मेरे ख्वाबों में आ जाया करो I
तन्हा देखकर मेरे कानो में प्यार भरी ,
अपनी मोहब्बत की दास्ताँ ब्यान कर जाया करो I
तेरे जाने के गम में मेरी जान जब जाने लगे ,
मेरे लबों से लब सटाकर सांस नई भर जाया करो I
मरकर भी ना मरे मोहब्बत अपनी ,
हर युग में मेरी महबूबा बनकर आ जाया करो I
मै जब भी कोई गजल लिखूं ,
तुम मेरे ख्वाबों में आ जाया करो I I
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