आजकल दिखाई नहीं देते ग़ालिब ,
ईद के चाँद हो गए हो .
या कोई बीमारी हो गई है,
और चंद दिनों के मेहमान हो गए हो .
क्या किसी पे दिल आ गया ,
और कुर्बान हो गए हो .
चार-चार लोगो की सवारी करके ,
क्या श्मशान चले गए हो .
खाली- खाली नज़र आती है सब गलियां ,
क्या इंसान हो गए हो .
जुदाई में मार डालोगे क्या ,
बड़े शैतान हो गए हो .
किसी ने कैद कर लिया क्या दिल में ,
किसके दीवाने हो गए हो .
शमा पे जलकर मरने के वास्ते ,
परवाने हो गए हो .
उधर भी नहीं जाते आजकल ,
क्या खुद मैयखाने हो गए हो .
आजकल दिखाई नहीं देते ग़ालिब ,
ईद के चाँद हो गए हो .
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