Thursday 5 January 2012

195. जब वक्त गुजर जाता है

वक्त गुजरता है तो यादें भी फिकी पड़ जाती हैं ,
मंजिल   बदलते ही  राहें भी बदल जाती हैं,

ये हुस्न का जादू  सदा रहने वाला नहीं ,
उम्र के साथ निगाहें भी बदल जाती हैं,

लाख कौसिस करते है इस जिस्म को सवारने में ,
वक्त के साथ ये देह भी जल जाती है ,

वक्त वक्त की बात है सही होने पर 
हवा भी बयार लगती है ,

वक्त बुरा जब आता है ,
ये ही हवा आंधी -तूफान में बदल जाती है ,

वक्त पे जल जीवन देता है ,
बेवक्त वही जल जलवा बन जाता है ,

वक्त पे करते है जो अपना काम ,
मिलते हैं उनको ही मेहनत  के दाम.

जब वक्त गुजर जाता है,
कोई यत्न ना फिर काम आता है . 

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