जूता फेंक के विरोध जतावं स ,
फिर लात -घुसे खावं स .
इनकी जम क हो स पिटाई ,
इनके के थाव स भाई .
मगर इनकी मेहनत बेकार ना जाव स ,
खबर इनकी जब मिडिया क थाव स .
लात -घुसा की हो ज्या स भरपाई ,
जब हो ज्या स इनके मन की चाही .
महंगाई की मार ये भी झेल रे सं .
माला की जगह एक जूते से काम ले रे सं .
बड़ी बढ़िया स रीत इन न चलाई .
समझ स सब कोई भाई .
ना सारे मुंह लीप क आ रे सं ,
एक शीशी से काम डिगा रे सं .
सब का घमंड चूर हो ज्या स भाई ,
बूते स बाहर औकात जिसने भी दिखाई .
यो जनता जनार्दन का फैसला स ,
भ्रष्टाचार का बड़ा मसला स .
कौन इसने मेटगा भाई ,
किसे की समझ म ना स आई .
नेताओं का विदेशा में पड़ा धन काला स ,
देश की जनता बिन निवाला स .
अन्ना न स इब जनता जगाई ,
इसका साथ जरुर दो भाई .
ध्यान त सुन लो यो के चाह व स ,
भ्रष्टाचार न दूर भगाव स .
अपने देश न इब बचा लो भाई ,
कदे फेर डूब ज्या भाई .
याद करो उनकी क़ुरबानी,
कितना खून बहाया स .
कितना जोर लगा क ,
गोराँ को भगाया स .
उसी ए मुसीबत देश पर स आई ,
सारे मिल क दिख दो भाई .
देश न अपने बचा लो भाई ,
देश प्रेम की ज्योत जगा लो भाई ...