Tuesday 31 January 2012

208. देश न अपने बचा लो भाई


जूता फेंक के विरोध जतावं   स  ,
फिर  लात -घुसे खावं स .

इनकी जम क हो स पिटाई ,
इनके के थाव स भाई .

मगर इनकी मेहनत बेकार ना जाव स ,
खबर इनकी जब मिडिया क थाव स .

लात -घुसा की हो ज्या स भरपाई ,
जब हो ज्या स इनके मन की चाही .

महंगाई की मार ये भी झेल रे सं .
माला की जगह एक जूते से  काम ले रे सं .

बड़ी बढ़िया स रीत इन न चलाई .
समझ स सब कोई भाई .

ना सारे मुंह लीप क आ रे सं ,
एक शीशी से काम डिगा रे सं .

सब का घमंड चूर हो ज्या स भाई ,
बूते स बाहर औकात जिसने भी दिखाई .

यो जनता  जनार्दन का फैसला स ,
भ्रष्टाचार  का बड़ा मसला स .

कौन इसने मेटगा भाई ,
किसे की समझ म ना स आई .

नेताओं  का विदेशा में पड़ा धन काला स ,
देश की जनता बिन निवाला स .

अन्ना न स इब जनता जगाई ,
इसका साथ जरुर दो भाई .

ध्यान त सुन लो यो के चाह व स ,
भ्रष्टाचार न दूर भगाव स .

अपने देश न इब बचा लो भाई ,
कदे फेर डूब ज्या भाई .

याद करो उनकी क़ुरबानी,
 कितना खून बहाया स .

कितना जोर लगा क ,
गोराँ को भगाया स .

उसी ए मुसीबत देश पर स आई ,
सारे मिल क दिख दो भाई .

देश न अपने बचा लो भाई ,
देश प्रेम की ज्योत जगा लो भाई ...

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