Sunday 4 September 2011

114. आदमी के काम आता है आदमी


आदमी के काम आता है आदमी,
आदमी से आदमी का बैर मिटा दो.


सुख-चैन,शांति हो जहाँ जहां में,
ऐसी जगह की हमें सैर करा दो.


सत्यवादी और ईमानदार ही जिन्दा रहें जहां में,
ऐसी कोई लहर चला दो.


अज्ञानता,अन्धविश्वास मिटाकर ,
विज्ञानं की ज्योत जला दो.


हरियाली ही हरियाली हो जहां में,
ऐसी कोई हवा चला दो.


खुशहाली ही खुशहाली हो दिलों में,
ऐसी कोई नई कला दो.


मंदिर,मस्जिद,गिरजाघर,गुरूद्वारे,
बाह्य-आडम्बर हैं ये सारे.


ईश्वर,अल्लाह,गोड,वाहेगुरु,
नहीं हैं न्यारे-न्यारे.


किसी भी नाम से पुकारो,सर्वशक्तिमान एक ही है,
जो रहती है दिल में हमारे.


यहीं सन्देश देना चाहता हूँ,
सच लगे तो याद रखो,या मुझे भी भुला दो.


जीवन सफल हो जायेगा मेरा,
अगर तुम पूरा ये अरमान करो.


जिन्दा रखना चाहते हो तो,
मानव-धर्म अपना लो.


या अभी निकालो खंजर,
मुझे लम्बी नींद सुला दो.


मान लो बात मेरी ,
आदमी से आदमी को मिला दो.


जात-पात,रंग-धर्म के,
सारे भेदभाव मिटा दो.


आदमी के काम आता है आदमी ,
आदमी से आदमी का बैर मिटा दो...


यही स्वर्ग है,यही नरक ,
सबको ये बात बता दो.


आदमी है आदमी से प्यार करते हैं,
सबको यही जता दो.


मेरे इस सन्देश को ,
सारे जहां में फैला दो.

करके ये नेक काम,
भलाई का मुझे सिला दो.....






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