Friday 2 September 2011

98. एक छोरी बोली काल एक छोरे तै


एक छोरी बोली काल एक छोरे तै,
क्यों मैंने लखावै स इतने धोरे तै.


तू के जाने स ,न्यू मैं पट ज्यांगी ,
पीटन तै तनै मैं डट ज्यांगी.


जूती काढ कै,ज मैं मारण लाग गी,
रुक-रुक कै तेरै नानी याद आवगी.


भरी पंचायत मै ज तेरी आबरू तारण लाग गी,
कितै लुकण नै तनै ठोड ना पावगी.


तावला-सा भाज ले तू मेरे धोरे तै,
एक छोरी बोली काल एक छोरे तै.


घनी सुथरी सूं तो के सोची स,
मैं कति भी चालू कोणी,


चाहे कितना जोर लगा ले छोरे,
मैं उरै तै हालू कोनी.


दिल तो मेरा भी चाहवे स,
कि किसे तै प्यार करू.


किसै की आँख्यां मै आँख घाल कै न,
अपणी आँख्यां नै दो-चार करूँ.


पर मेरा दिल कोनी दूं ,
तेरै जिसे लूचे-लफंगे छोरे नै,


मेरा दिल तो दूँगी,
किसै सुथरे  लम्बे-ठाडे  छैल गौरे नै.


जो सारे दिन प्यार करै,
हालन नहीं दे अपने धोरे तै.


एक छोरी बोली काल एक छोरे तै,
क्यों मैंने लखावै स इतने धोरे तै..
  



 







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