Sunday 4 September 2011

134. चले जाते हैं दुनिया से दूर


चले जाते हैं दुनिया से दूर ,चले जाते हैं दुनिया से दूर.
वो जिनको जीने नहीं देते दुनिया वाले,


कर देते हैं मरने को मजबूर.
चले जाते हैं दुनिया से दूर,चले जाते हैं दुनिया से दूर,


कुछ लोग दुनिया में होते हैं जो बेरोजगार,
दुनिया कहती है उनको बेकार.


किसी में ताकत नहीं जुल्मों से लड़ने की,
सहते हैं मार ,करते हैं बेगार.


उनका जीना भी कोई जीना है ,जो जीने को हैं मजबूर.
चले जाते हैं दुनिया से दूर,चले जाते हैं दुनिया से दूर.


कुछ पड़ जाते है चक्कर में प्यार के,
कर लेते हैं जिन्दगी को बेकार ये.


लग जाता है रोग बेवफाई का ,
पड़ जाते हैं बीमार ये.


हँसना जाते हैं भूल,मरने को हो जाते हैं मजबूर.
चले जाते हैं दुनिया से दूर,चले जाते हैं दुनिया से दूर.


किसी का दिल टूट गया,
कोई भरी महफ़िल में लुट गया.


कोई जीता है जुदाई में,
कोई मरता है तन्हाई में.


विश्वासघात से दिल को देते हैं चीर.
चले जाते है दुनिया से दूर,चले जाते हैं दुनिया से दूर.


किसी को मार गई महंगाई,
कर्ज के मारे मर गए.


.किसी को दगा दे गई लुगाई,
शर्म के मारे मर गए.


ना जाने किस बहाने से हो जाते हैं अपनों से दूर.
चले जाते हैं दुनिया से दूर,चले जाते हैं दुनिया से दूर.






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