जब से किया है तन्हा तूने,
अपने दिल से भी क्यों भगा दिया.
पेग से पीना छोड़ दिया मैंने,
बोतल से मुंह को लगा लिया.
क्या बुरा किया था मैंने तेरा,
क्यों तूने मुझको दगा दिया.
मेरी जिन्दगी में एक तू ही आई थी,
तूने ही मुझको ठग लिया.
तेरे सपनों की आस में सोया था,
क्यों तूने मुझको जगा दिया.
खुद स्वाद चखने आई थी,
क्यों तूने मुझको फंसा दिया.
चैन से रहने तुझको लाया था,
क्यों तूने ऊँगली पे मुझको नचा दिया.
तुझे खाने-पिलाने मैं लाया था,
क्या तूने मुझको खिला दिया.
ना जी पाऊंगा अब और मैं,
तूने खाने में जहर जो मिला दिया.
चैन से सोने तुझको लाया था,
तूने जिन्दगी-भर के लिए सुला दिया.
मैं खुद को हँसाने तुझे लाया था,
तूने सारे जग को रुला दिया.
अब कहने को क्या बाकि रहा,
सब कुछ तो तूने बता दिया.
क्या बुरा किया था मैंने तेरा,
क्यों तूने मुझको दगा दिया.
जब से किया है तन्हा तूने,
अपने दिल से भी क्यों भगा दिया...
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