जुल्फें तो एक ज़माने में रखी थी हमने भी बड़ी-बड़ी,
मगर जूओं ने हमारी जुल्फों को कटवा दिया.
प्यार तो बहुत था हिन्दू और मुसलमानों में ,
मगर अंग्रेजों ने वतन को बंटवा दिया .
कमजोर तो बहुत तो पढाई में ,मगर मास्टर के
डंडों ने एक-एक शब्द को रटवा दिया .
कितना प्यार करते थे एक ज़माने में ,मगर बेवफाओं ने
मोहब्बत शब्द को ही दिल के मंदिर से मिटवा दिया.
कभी चाह था एक घर बनवाएं उनके घर के सामने ,
हम नींव भी न खोद सके ,उन्होंने अपने घर को ही हटवा दिया .
एक रात योजना बनाकर चले थे महबूबा को चूमने ,
मगर बेवफा ने अँधेरे का फायदा उठाया,कटड़े को चटवा दिया.
हमने सोचा था भिखारी-मुक्त करेंगे अपने देश को ,
मगर जालिम ज़माने ने हमसे ही मंगवा दिया .
हमने जिसको भी चाह अपना हमसफ़र बनाना,
उसी ने किसी और के संग शादी का कार्ड हमें थमा दिया .
हमने जब भी कुछ नया पहना फैशन के तौर पर ,
ज़माने ने हमें एक मशहूर मसखरा बना दिया .
जब भी चाहा संभलकर चलने को ,
जो भी मिला एक पेग हाथों में थमा दिया .
अभी जवां भी नहीं हुए थे ठीक से मगर ज़माने-भर के
ग़मों ने बचपन में ही बूढा बना दिया .
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