तुम बिन मुझे हर तरफ
खालीपन का अहसास होता है.
रोने को दिल करता है ,
जब कोई नहीं मेरे पास होता है.
तुम बिन अपना ही घर ,
मुझे बेगाना लगता है.
तुम बिन हर कोई यहाँ पर ,
अनजाना लगता है.
मैं समझ नहीं पा रहा हूँ,
वो कौन-सा बंधन ,कौन-सी मजबूरी है.
मेरी अपनी छाया से ,
जो इतनी दूरी है.
मुझसे जुदा न होकर भी,
जुदा हो गई हो.
आँखों में तेरी तस्वीर लिए फिरता हूँ,
फिर भी दिखाई नहीं देती,क्या खुदा हो गई हो.
तुम बिन ना खाने को जी करता है ,
ना सोने को जी करता है.
हँसी छिन गई है होंठों की,
बस रोने को जी करता है.
मैं अपने-आप में खोया रहता हूँ,
क्या हर कोई ऐसे हो खोता है.
जुदा होने पर अपनों के ,
क्या हर कोई ऐसे ही रोता है.
तुम बिन मुझे हर तरफ,
खालीपन का अहसास होता है...
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