Sunday 4 September 2011

141. हम जिसको भी चाहने लगते हैं,


हम जिसको भी चाहने लगते हैं,
वही किसी और के संग  हवा हो जाती है.


हम वैसे के वैसे रह जाते हैं ,
और वो ना जाने क्या से क्या हो जाती है.


हम जिसको भी दिल देते हैं,
वही हमसे खफा हो जाती है.


हम जिससे प्यार करना चाहते हैं,
वही बेवफा हो जाती है.


हम कुछ कहते भी नहीं,
फिर हमसे ना जाने क्या खता हो जाती है.


हम जिसके ख्वाबों में खोने लगते हैं,
वही किसी और के होने लगते हैं.


हम हर बार अकेले रह जाते हैं,
और वो अपना घर बसा जाते हैं.


हमारी कोई कतई चिंता नहीं करता,
और हम हर किसी पे मरे जाते हैं.


हमें कोई पानी की भी नहीं पूछता ,
और हम उनकी आग में जले जाते हैं.


तन्हा हम जी नहीं सकते,
और किसी का साथ हम पा नहीं सकते.


जायें तो जायें कहाँ इस दुनिया से दूर,
मरने के बाद कहाँ है ठिकाना,कुछ बता नहीं सकते.


हम जिसको दिलो-जान से चाहते हैं,
उसे प्यार में सता नहीं सकते.


उसके बिना हम मर जायेंगे,
ये उसे हम बता नहीं सकते.


बताने पर मेरी किस्मत मुझसे खफा हो जाएगी,
और वो किसी और के संग दफा हो जाएगी..



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