Saturday 10 September 2011

181. किस्सा अपनी किस्मत का


कौन सुनेगा,किसको सुनाएँ ,
किस्सा अपनी किस्मत का.


सुख ना मिला है ,सुख ना मिलेगा ,
कुछ भी नहीं अपने वश का.


जो भी मेरे दिल में बसा है ,
नागिन बन के मुझको डसा है.


पहले सबने विश्वास दिलाया ,
साथ मेरा फिर रास ना आया.


ना किसी ने चखा है ,ना कोई चखेगा ,
रस मेरी मोहब्बत का .


कौन सुनेगा,किसको सुनाएँ,
किस्सा अपनी मोहब्बत का.


रोना आता है कर्मो पे अपने,
ना कभी पूरे होंगे मेरे सपने.


सारी मेहनत मिट्टी में  मिलेगी,
हाथ मलता रह जाऊँगा,मेरी एक ना चलेगी.


ना तूफ़ान रुकेंगे,ना बारिस थमेगी.
हाल बुरा है मेरे घर कि छत का,


कौन सुनेगा किसको सुनाएँ ,
किस्सा अपनी किस्मत का.


मार गई मुझे मेरी जवानी,
बड़ी अजीब है इसकी कहानी.


शादी नहीं बर्बादी हुई है,
छिन मेरी आज़ादी गई है.


ना किसी ने देखा ना कोई देखेगा,
खेल मेरी किस्मत का.


कौन सुनेगा,किसको सुनाएँ ,
किस्सा अपनी किस्मत का.


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