एक बार ही उससे मैं मिल पाया हूँ.
दिल में है उसके क्या मैं नहीं जान पाया हूँ.
जिन्दगी बन गई अब वो,
ऐसा लगता है उसके लिए ही दुनिया में आया हूँ.
कैसी है जिन्दगी मेरी,
अभी तक मैं ठीक से देख भी नहीं पाया हूँ.
एक बार ही उससे मैं मिल पाया हूँ,
दिल में है उसके क्या मैं नहीं जान पाया हूँ.
जानता नहीं था मैं ये,
दिल मेरा जीत लेगी पहली नज़र में वो.
इस तरह से तन्हाई को दूर करेगी,
जीवन-साथी बनकर वो.
क्या खूबी थी उसमें जो मुझको भा गई,
अभी तक उस खूबी को नहीं पहचान पाया हूँ.
एक बार ही उससे मैं मिल पाया हूँ,
दिल में है उसके क्या मैं नहीं जान पाया हूँ.
दिल है बेचैन बड़ा एक मुलाक़ात को ,
कब होगा मिलन अपना,दिन को या रात को .
नहीं जान पाया हूँ मैं एक ही बात को,
क्या वो भी बेचैन रहती है सुनने को मेरी बात को.
वो भी क्या-कुछ कहना चाहती होगी,
मैं भी नहीं सुन पाया हूँ.
एक बार ही उससे मैं मिल पाया हूँ,
दिल में है उसके क्या मैं नहीं जान पाया हूँ.
छोड़कर उसको मैं किसके सहारे आया हूँ,
मैं कुछ भी नहीं समझ पाया हूँ.
मुझसे जुदा होकर कैसी होगी हालत उसकी,
हाल-ए-दिल उसका मैं नहीं सुन पाया हूँ.
एक ही बार उससे मैं मिल पाया हूँ,
दिल में उसके क्या मैं नहीं जान पाया हूँ...
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