Sunday 4 September 2011

147. मेरा जीवन


मेरा जीवन मेरा अपना ही तो है,
मेरा जीवन एक सपना ही तो है.


कभी सोचूँ कि बागों की सैर करूँ,
कभी सोचूँ कि फूलों से बैर करूँ.


एक ना एक दिन फूलों का रस चखना ही तो है,
मेरा जीवन एक सपना ही तो है.


कभी सोचूँ कि किसी से प्यार करूँ,
कभी सोचूँ कि सबको इंकार करूँ.


किसी ना किसी से प्यार करना ही तो है,
मेरा जीवन एक सपना ही तो है.


कभी सोचूँ कि कुछ कर दिखलाऊं,
कभी सोचूँ कि यूं ही मर जाऊं.


दुनिया में आये हैं तो कुछ ना कुछ करना ही तो है,
मेरा जीवन एक सपना ही तो है.


कभी सोचूँ कि सबसे प्यार-भरी बात करूँ,
कभी सोचूँ कि किसी ना कोई मुलाक़ात करूँ.


किसी ना किसी से मिलकर चलना ही तो है ,
मेरा जीवन एक सपना ही तो है.


कभी सोचूँ कि उड़ कर जाऊं कही,
कभी सोचूं कि तन्हा रह जाऊं यहीं.


एक ना एक दिन दुनिया से जाना ही तो है,
मेरा जीवन एक सपना ही तो है.


कभी सोचूँ कि संत-महात्मा बन जाऊं,
कभी सोचूँ कि अपनी गृहस्थी बसाऊं.


इनमें से एक तरह से जीवन जीना ही तो है,
मेरा जीवन एक सपना ही तो है.


मेरा जीवन मेरा अपना ही तो है,
मेरा जीवन एक सपना ही तो है.....



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