Saturday 3 September 2011

104. सिर्फ तुझसे मैंने प्यार किया है


सिर्फ तुझसे मैंने प्यार किया है,
ये तन-मन तुझ पे वार दिया है.


तू ही मेरी वंदना है,तू ही मेरी पूजा है,
तू ही मेरी तमन्ना है ,तू ही कविता है.


तू ही मेरी सोहनी हैं,तू बड़ी मन-मोहिनी है .
ये दिल तुझको यार दिया है.


तुझसे मैंने प्यार किया है ,
सिर्फ तुझसे मैंने प्यार किया है.


तू ही मेरी आँखों में समाई थी,
तू ही मेरी बाँहों में आई थी.


तेरे संग जीने के सपने देखे थे,
तेरे संग मरने की कसमें खाई थी.


एक तू है जिसपे मैंने भरोसा किया है,
तेरे बिना जिन्दगी को मैंने ठोसा दिया है.


सिर्फ तुझसे मैंने प्यार किया है,
सिर्फ तुझसे मैंने प्यार किया है.


कोई और छू नहीं सकता इस तन को,
कोई चुरा नहीं सकता मेरे मन को.


मुझे धन से कोई सरोकार नहीं,
मेरे तन-मन पे सिर्फ तेरा अधिकार है.


क्या तुझको ये स्वीकार है,
जो मैंने स्वीकार किया है.


सिर्फ तुझसे मैंने प्यार किया है,
सिर्फ तुझसे मैंने प्यार किया है.


मैं जीते जी तेरा प्यार भुला नहीं सकता ,
एक पल को भी तुझे रुला नहीं सकता .


मैं पास तेरे रहूँ न रहूँ,
पर दूर तुझसे कभी जा नहीं सकता.


और किसी को कभी ये कहने को तैयार किया,
तेरे संग जिन्दगी बिताने का इकरार किया है.


सिर्फ तुझसे मैंने प्यार किया है,
सिर्फ तुझसे मैंने प्यार किया है...






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