Saturday 10 September 2011

175. प्लीज वो मान लीजिये.


मुश्किल नहीं है कुछ भी ,
गर ठान लीजिये.


हम जो कहते हैं ,
प्लीज वो मान लीजिये.


बुरा कुछ भी नहीं कहते,
आपका भला ही चाहते हैं.


मंजिल को पाने वाले थकते नहीं हैं,
चलते चले जाते हैं.


हम आपके हैं कौन,
दोस्त कहने से पहले जान लीजिये.


हम जो कहते हैं ,
प्लीज वो मान लीजिये.


बुरा नहीं होता कुछ भी ,
इस ज़माने में.


हम कुछ पाते ही हैं खोते नहीं,
अनुभव बनाने में.


अनुभव से ही कौन है दुश्मन,
दोस्त है कौन ,पहचान लीजिये.


हम जो कहते हैं ,
प्लीज वो मान लीजिये.


मंजिल की तरफ जब बढ़ते हैं,
राह में अनेकों मुसाफिर मिल जाते हैं.


उनमें हो गर हम सफ़र अपना,
ख़ुशी के मारे दिल खिल जाते हैं.


हँसते-हँसते कट जायेंगे रस्ते,
हमसफ़र को पहचान लीजिये.


हम जो कहते हैं,
प्लीज वो मान लीजिये...


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