Sunday 4 September 2011

149. कोई नहीं बनता महान बन्दे


धन,बल,बुद्धि,दान बिन,
जगत का करे कुछ कल्याण बिन.


कोई नहीं बनता महान बन्दे,
दुनिया में बने अच्छे इन्सान बिन.


ना बनती रामायण कभी,
ना राम से मरता कभी रावण.


सीता को पाना नामुमकिन था,
कुछ ना कर पाता राम,हनुमान बिन.


ना जुए का खेल होता ,
ना द्रोपदी रखती खुले केश.


ना दुशासन दुस्साहस करता ,
ना पांडवों को बदलने पड़ते भेष.


ना महाभारत का महत्व होता,
श्रीमद भग्वद गीता के ज्ञान बिन.


ना पांडवों की कभी जीत होती,
श्री कृष्ण भगवान बिन.


ना राम कभी पुरुषोतम होता,
ना हनुमान पकड़ता उनके चरण.


ना विष्णु की छलिया बुद्धि होती,
ना महादानी कहलाता कर्ण  .


रोज किये व्यायाम बिन,
ना स्वस्थ तन-मन होगा,


मन से मारो मेहनत,
फिर तुम्हारे धन ही धन होगा.


ना होगी पढाई कभी,
एकांत और एकनिष्ठ ध्यान बिन.


मेहनत करनी होगी,
कामयाबी के लिए तुम्हे रात-दिन.


धन,बल,बुद्धि,दान बिन,
जगत का करे कुछ कल्याण बिन.


कोई नहीं बनता महान बन्दे,
दुनिया में बने अच्छे इन्सान बिन....




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