Saturday 10 September 2011

173. दिन जवानी के हैं चार


दिन जवानी के हैं चार,
मत गवां इनको बेकार.


दिल जवां है शोला है बदन,
और किस बात का है इंतजार.


आप हम और मौका,
सब कुछ तो है तैयार.


करके मीठी-मीठी बातें,
मत बहका अब मेरे यार.


बांहों में आओ तो चैन मिले,
यूं तड़फा-तड़फा कर मत मार.


हर दूरी मिटा दो अब,
हटा दो शर्म की हर दीवार.


चढ़ गया है मुझको तो,
अब तेरे प्यार का बुखार.


दे दो दवा प्यार की,
नहीं तो बिन आई में मारा जाऊँगा यार.


और जब मर जाऊँगा तो ,
याद आऊंगा बार-बार.


तब न चलेगा जोर तेरा,
अभी कर लो जी भरकर प्यार.


मत परवाह करो ज़माने की,
ना मन में लाओ इनका विचार.


दिल जल जायेगा,
देखकर ज़माने का व्यवहार.


दिन जवानी के हैं चार,
मत गवां इनको बेकार.


जी भरकर कर लो प्यार,
जी भरकर कर लो प्यार....


No comments:

Post a Comment