Saturday 10 September 2011

185. एक पल झगड़ा एक पल प्यार


एक पल झगड़ा एक पल प्यार,
कैसा है ये तेरा व्यवहार.


मेरी समझ में कुछ नहीं आता,
तू क्यों नहीं मुझको समझाता.


कर ना मुझको तू यूँ बेकरार,
एक पल झगड़ा एक पल प्यार.


जहाँ भी जाती मैं पीछे चला जाता,
मैं पल-पल तेरी छाया बन जाता.


तेरा क्या कर लूं मेरे यार,
एल पल झगड़ा एक पल प्यार.


तेरे बिन नींद नहीं मुझको है आती ,
याद तेरी इतनी है सताती.


आंसूं बहते हैं लगातार,
एक पल झगड़ा एक पल प्यार.


मेरे बिन तू भी ना रह पायेगी,
गम अपना किसी से ना कह पायेगी.


दिल कि दिल में रह जाएगी,छोड़ दे तकरार,
एक पल झगड़ा एक पल प्यार.


जब हम प्यार की धारा में बह जायेंगे,
सारे गम मिलकर सह जायेंगे.


ना कभी होगा झगड़ा,भूल जायेंगे बातें सब बेकार,
मिट जायेगा झगड़ा,हर पल होगा प्यार.


ज़माने-भर के गम को मिटाने के लिए,
खुशियों का चमन खिलाएंगे.


प्यार की बयार बहाने के लिए,
दिल दुश्मनों के भी मिलायेंगे.


हो जाओ तुम भी ये बीड़ा उठाने को तैयार,
भूल अब झगड़ा,करो प्यार ही प्यार.


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