Sunday 4 September 2011

126. आँखों ही आँखों में बात होगी.


जब-जब भी कहीं पर अपनी मुलाक़ात होगी,
ना जुबां  खुल पायेगी,आँखों ही आँखों में बात होगी.


याद कर-करके बातें बीतें पल की,
पल-पल आँखों से आंसूओं की बरसात होगी.


हृदय में होती है हलचल,
जब चेहरा तेरा सामने आता है.


याद तेरी सताने लगती है ,
तब कुछ भी नहीं भाता है.


तेरा भी यही हाल होता होगा,
जब चल रही कहीं प्यार भरी बात होगी.


एक यही तो मुश्किल है,
हम जुबां से कुछ भी नहीं कह पाते.


चैन आता है दिल को देखकर तुझे,
बिन देखे तुझे चैन से रह नहीं पाते.


जुल्फों को जब लहराओगी,
दिन में भी काली रात होगी.


घटायें छायेंगी आसमान में,
मगर मेरी आँखों से बरसात होगी.


मुझे दुःख इस बात का नहीं कि,
जिन्दगी-भर के लिए तुझे पा ना सका.


बल्कि इस बात का है कि,
तुझे ना अपनाने का कारण बता ना सका.


तुझे तेरी गलती का अहसास करा ना सका,
हर पल जेहन में मेरे यही बात होगी.


जब-जब भी कहीं पर अपनी मुलाक़ात होगी,
ना जुबां खुल पायेगी,आँखों ही आँखों में बात होगी...




No comments:

Post a Comment