Sunday 4 September 2011

140. दौलत के इस संसार में


क्या रखा है ? क्या रखा है ?
दौलत के इस  संसार में .


लुट गए हम तो लुट गए यारा,
मतलब के इस प्यार में.


बिन दौलत के कोई न पूछे,
कैसा हाल तुम्हारा है.


क्या करते हो अब ,
कैसा पिछला साल गुजरा है.


फंस गए हम तो फंस गए यारा,
दौलत के इस बाज़ार में.


दौलत है पास में जिसके ,
हर काम उसी का होता है.


सब रहते हैं डरकर उससे,
ऊँचा नाम उसी का होता है.


डर गए हम तो डर गए यारा,
दौलत के इस व्यवहार से.


ना हो जब जेब में पैसा,तब काम हो कैसा,
हर काम अधूरा लटका रहता है.


कुछ ना कमाए,फिर कैसे खाए,
टूक गले में अटका रहता है.


मर गए हम तो मर गए यारा,
दौलत के इस संसार में.


दुनिया दौलत वालों को सलाम करती है,
मुफ्त में उनका हर काम करती है.


गरीबों का चूसते हैं खून,बेगार कराके,
लुटते हैं वो इनके काले बाज़ार में.


मिट गए हम तो मिट गए यारा,
दौलत के इस संसार में...




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