Sunday 4 September 2011

117. दगा दे गई वो आज


दगा दे गई वो आज ,
कल जिसने दिल दिया था.


जान निकाल कर ले गई वो आज,
कल जिसने जान देने का वादा किया था.


छुप-छुप कर मिलने को प्यार कहती थी कल,
आज उसे वो पाप लगता है.


एक पल ना मिलने पर तड़फ उठती थी कल तक,
आज उसे ना मिलना ही पाक लगता है.


जिन्दगी-भर साथ निभाने को कहती थी कल तक ,
आज वो ही मेरी जिन्दगी से दूर जाना चाहती है.


कल तक जब मिलते थे तो,
बाँहों में बाँहें डालकर कहती थी-
"दिलो-जान से तेरे नाम हो जायेंगे".


आज जब मैं मिलने को कहता हूँ,
जवाब में क्या कहती है-
"किसी ने देख लिया तो बदनाम हो जायेंगे".


हर बात का था ऐतबार जिसे कल,
आज वो ही अपने वादों को तोड़ गई.


मुझे जिन्दगी-भर साथ निभाने की कसम खिलाती थी कल,
आज वो ही मेरा साथ छोड़ गई.


आज मुझे रुलाकर छोड़ा है जैसे,
कल किसी और को मत रुलाना.


मैं तो सहन कर गया तेरी जुदाई के गम को,
ये प्यार का खेल किसी और को मत खिलाना.


दुनिया में सभी लोग अच्छे नहीं होते ,
जिससे जी चाहे जी मत लगाना.


याद रखना-दुनिया थू-थू करेगी मरने पर भी ,
वादा जो किसी से कर लिया ,मरते-दम तक निभाना.....


 



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