Saturday 10 September 2011

182. ना मुझको कहना गैर कभी


ना मुझको कहना गैर कभी,ना मुझसे रखना बैर कभी.
ना तन्हा रहूँगा ,दे दो चाहे जहर अभी.


विश्वास मुझसे क्या उठ गया है.
जो अपना होकर रूठ गया है.


क्या चीज हूँ मैं ,दिल देकर देखो खैर कभी.
ना मुझको कहना गैर कभी,ना मुझसे रखना बैर कभी.


एक पल तुझसे ना दूर रहूँगा,
जान तुझे मैं अपनी कहूँगा.


पलकें बिछी हैं इंतजार में तेरे आकर देखो मेरे घर कभी.
ना मुझको कहना गैर कभी,ना मुझसे रखना बैर कभी.


दिल क्या चीज है तेरे आगे,चाहे तो मेरी जान ले लो.
बस बाँहों में लेकर मुझे अपना तुम मान भी लो.


चुप रहूँगा,कुछ ना कहूँगा,दिल में रखना ना कोई भार कभी.
ना मुझको कहना गैर कभी,ना मुझसे रखना बैर कभी.
ना तन्हा रहूँगा ,दे दो चाहे जहर अभी.

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