Saturday 10 September 2011

160. मेरे दिल का क्या कसूर था


मेरे दिल का  क्या कसूर था ,
जो तुझ पे आ गया.


ऐसा क्या किया था मैंने,
जो तुझको इतना भा गया.


झील-सी आँखों ने तेरी,
मन मेरा मोह लिया.


तेरा सादगी-भरा चेहरा,
हर पल लाये नया सवेरा.


तेरी प्यार-भरी बातों का जादू,
मेरे दिल पे छा गया.


ऐसा क्या किया था मैंने,
जो तुझको इतना भा गया.


तेरे जीवन का उद्देश्य,
लगता है मुझको ऐसे.


मेरे लिए ही बनाया है तुझको,
बनाने वाले ने जैसे.


ऐशो-आराम से कटेगी जिन्दगी तेरी,
तेरी जिन्दगी में जो मैं आ गया.


ऐसा क्या किया था मैंने,
जो तुझको इतना भा गया.


मस्तानी चाल तेरी,
तेरे गौरे-गौरे गाल .


सुडौल शरीर तेरा,
करता है मेरा बुरा हाल.


कल तक जो मेरा था,
वो आज तेरे दिल में समा गया.


ऐसा क्या किया था मैंने,
जो तुझको इतना भा गया..


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