Saturday 10 September 2011

187. मौत को देखा जो इतने करीब से


मौत को देखा जो इतने करीब से ,
लगने लगे लोग कितने अजीब से.


ना चाहता है दिल दुखाना दिल अब किसी का ,
दिल चाहता है चाहना सबको करीब से.


सभी अपने हैं ना कोई जुदा लगता है ,
प्यार से देखें तो सब में  खुदा लगता है .


जीना है चार दिन तो प्यार से जीना सीखो,
दूसरों को हँसाने के लिए अपना गम पीना सीखो.


अपने सुख की खातिर ,
मत दो दुःख किसी को .


अपने होंठों पे सजाने को ,
मत छीनो दूसरों की हँसी को .


फिर देखो तुम्हें गम में भी ,
ढेर साडी खुशियों का अहसास होगा .


कोई ना लगेगा पराया तुम्हें ,
हर कोई दिल के पास होगा .


जब किसी के गम को दिल से समझोगे,
उसी से अपनेपन का अहसास होगा .


ना रहेगा फिर कोई पराया ,
हर कोई अपना खास होगा.


जब किसी का अपना कोई खोता है,
वह दिल से बड़ा रोता है.


मरने पर दूसरों के "दुनिया खत्म नहीं हुई"-कहकर,
बड़े चैन से सोता है.


ना दो गाली-गलोच किसी को ,
बोलो सभी को तहजीब से.


मौत को जो देखा इतने करीब से ,
लगने लगे लोग कितने अजीब से..


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