Friday 2 September 2011

97. दिल का जाने क्या होगा


मौसम-ए-बहार में तेरे मेरे प्यार में ,
दिल का जाने क्या होगा,दौलत के बाज़ार में .


दिल मेरा तोड़ा है तुने दौलत के नशे में ,
तुम बिन जीना बेकार है,क्या करूँगा जीकर मैं ऐसे में.


जियें तो जियें कैसे ,तन्हा इस संसार में,
दिल का जाने क्या होगा ,दौलत के बाज़ार में .


तुम्हें मुझसे ना कल प्यार था, ना आज है,
तुम्हें तो बस अपनी दौलत पर नाज है.


ना जाने क्यों मैं तेरे प्यार में ,
कुछ ज्यादा ही भावुक था .


प्यार के सागर में तुम मेरी नाव थी ,
तो मैं तेरा नाविक था.


प्यार के इस सागर में नाव तैर गई,
नाविक गया मारा है.


मेरे प्यार को ठुकराकर ,
तुने दौलत से भविष्य संवारा है.


तुम जीती हो ह़र बार,हारा हूँ मैं तेरे प्यार में.
दिल क्या जाने क्या होगा ,दौलत के बाज़ार में.


मौसम-ए-बहार में ,तेरे मेरे प्यार में,
दिल का जाने क्या होगा ,दौलत के बाज़ार में..



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