Saturday 10 September 2011

167. उम्र ये जवानी की ढल जाएगी.


ये मेहनत पढाई की,ये दौलत कमाई की,
तब क्या फल लाएगी.


जिस्म को जंग लग जायेगा,
उम्र ये जवानी की ढल जाएगी.


तन तार-तार हो जायेगा,
मौसम ना ये बार-बार आएगा.


मन भी तब बेकार हो जायेगा,
किसी खिलौने ना बहल पायेगा.


जवानी लौटकर ना कल आएगी,
उम्र ये जवानी की ढल जाएगी.


कैरियर क्या काम आएगा.
समय जो तमाम गुजर जायेगा.


ना काम का रहेगा तब ये तन,
नशा जो इसमें से जवानी का उतर जायेगा.


मन की मुराद तो पूरी कर लो,
काया तो एक दिन जल ही जाएगी.


जिस्म को जंग लग जायेगा,
उम्र ये जवानी की ढल जाएगी.


अपना हर एक पल रंगीन कर लो,
ना जाने कब दम निकल जायेगा.


हसरत दिल की पूरी कर लो,
तन ये मिट्टी का मिट्टी में मिल जायेगा.


पशु की तरह खूंटे से बंध के भी क्या जीना,
जब तक आज़ाद हैं,अपनी मर्जी चल पायेगी.


जिस्म को जंग लग जायेगा,
उम्र ये जवानी की ढल जाएगी.


ये मेहनत पढाई की, ये दौलत कमाई की,
तब क्या काम आएगी ,


जिस्म को जंग लग जायेगा,
उम्र ये जवानी की ढल जाएगी........


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