Saturday 10 September 2011

165. काश ! आप हमारे होते,


काश ! आप हमारे होते,
सपने अपने पूरे वो सारे होते.


आपके दिल में रहते हम,
आप दिल में बसे हमारे होते.


नहाने से निखरता रूप जो,
उसको फुर हम अपना कहते.


ना हर रोज होता जुदाई का आलम,
हर पल आप जो हमारी बाँहों में होते.


ना गुजरती ये शामें तनहा हमारी,
आप जो हमारे संग में सोते.


गम जो होता गर कभी  जिन्दगी में,
कंधे पर सर रखकर आपके हम रोते.


हल्का हो जाता तब दर्द दिल का,
आँखों से जुदाई के अश्क गायब जो होते.


दिल में छुपा के रखे हैं राज जो आपने,
राज-राज ना रहते,हमराज जो हम आपके होते.


मुस्कराते हैं जब आप चेहरा जुल्फों में छुपा के,
फूल ख़ुशी के दिल में हमारे हैं खिलते.


छाई होती है जब उदासी चेहरे पर आपके,
अन्दर ही अन्दर हम भी हैं रोते.


हक से आपको हम अपना कहते,
हम जो अब तक कुंवारे होते.


ना होती कोई अड़चन मिलने में हमारे,
लव-मैरिज तब हम जो करते.


पहले कहाँ थे ? बताओ हमें.
आये हो अब क्यों इस रस्ते.


दर्शन ना दिए वर्षों बीत गए,
अब आकर कहते हो नमस्ते...




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