Saturday 3 September 2011

107. ना जाने क्यों ऐसा लगता है


जहाँ तक मेरे जानने का सवाल है,
मेरे दिल में किसी का नहीं ख्याल है.


फिर भी ना जाने क्यों ऐसा लगता है,
मेरे ऊपर फैला हुआ किसी का मोह-जाल है.


जब कभी शाम को अकेले में बाहर निकलता हूँ, 
तो कुछ-कुछ तन्हाई का अहसास होता है.


मुझे अपने बारे में सोचने पर मजबूर करता है,
कौन है वो ? जो उस समय मेरे पास होता है.


मेरे कानों में जैसे ये आवाज आती हो,
वो पुकार रहा है-"तेरे बिना मेरा बुरा हाल है".


जहाँ तक मेरे जानने का सवाल है,
मेरे दिल में किसी का नहीं ख्याल है.


कौन है वो ? जिसके बारे में सोचकर ,
मेरे दिल की धड़कन बढ़ जाती है.


क्यों बार-बार में याद आ-आकर ,
मेरे दिलो-दिमाग में चढ़ जाती  है.


वो सच में ही मुझे प्यार करती है,
या फिर मुझे तडफाने की उसकी चाल है.


जहाँ तक मेरे जानने का सवाल है ,
मेरे दिल में किसी का नहीं ख्याल है.


कौन है वो ? जिसे अब तक नहीं खोज पाया हूँ,
वो मुझे हर पल तन्हाई का अहसास कराती है,


क्या कोई रूहानी ताकत है वो ,
जो मुझे अपने पास बुलाती है.


मैं नहीं समझ पाया हूँ ,उसके इशारों को,
वो खुद सब कुछ क्यों नहीं समझाती है .


हकीक़त सामने क्यों नहीं लाती,
हटा क्यों नहीं लेती ,जो माया जाल है.


जहाँ तक मेरे  जानने का सवाल है ,
मेरे दिल में किसी का नहीं ख्याल है...






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