Saturday 3 September 2011

105. वो जिन्दगी भी कोई


वो जिन्दगी भी कोई जिन्दगी है ,
जिसको प्यार बिना जीना पड़े.


वो पीना भी कोई पीना है,
जिसको यार बिना पीना पड़े.


कोई जिन्दगी भर सो नहीं पाता,
तो कोई दिन-रात सोता है. 


कोई हर पल खुश रहता है,
तो कोई दिन-रात रोता है.


किसी को मुफ्त में मिलता है भोजन,
तो किसी एक जुन की रोटी को पसीना बहाना पड़े.


वो जिन्दगी भी कोई जिन्दगी है,
जिसको प्यार बिना जीना पड़े.


कोई तन्हाई में रोता है,
तो किसी के संग यार होता है.


किसी को मिलता है धोखा हर पल,
किसी के हिस्से में प्यार होता है.


ये जिन्दगी बड़ी निराली है,
किसी के लिए शराब की प्याली है.


किसी का नशा ही नहीं उतरता ,
तो किसी की बोतल ही खाली है.


किसी को प्यारी है नारी ,
उनका सोचना है बीच में भाई न अड़े.


वो जिन्दगी भी कोई जिन्दगी है,
जिसको प्यार बिना जीना पड़े.


नारी की भी कोई यारी है,
नारी नर की बीमारी है.


किसी के लिए गले में पड़ी हड्डी है,
तो किसी के भाई से भी प्यारी है.


नारी की परछाई तो ,
दुश्मन पर भी ना पड़े.


वो जिन्दगी भी कोई जिन्दगी है,
जिसको प्यार बिना जीना पड़े..





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