Sunday 4 September 2011

135. तन्हाई में तेरी याद


तेरी याद मुझे हर पल आ रही है,
तन्हाई में तेरी याद बेहद रुला रही है.


दिन तो दिन है हर दिन तन्हा ही कटता है,
रात भी तेरी याद में तन्हा ही चली जाती है.


दिलो-दिमाग में तेरी तस्वीर है छाई,
तुम्हारे दूर जाने पर नींद भी पास नहीं आती है.


दिल करता है बैठकर रोने को,
तेरी बांहों में आकर रो सकूँ जो,


बता मुझे रुलाने को कब आ रही है.
तन्हाई में तेरी याद बेहद रुला रही है.


तेरे पास होने पर तुझसे कितना प्यार करता हूँ,
ये अहसास भी नहीं होता.


मगर दूर जाने पर सिवा तेरी याद के ,
कोई मेरे पास भी नहीं होता.


तन्हाई में हर पल तेरी याद,
दिल के पार होती जा रही है.


ना जाने क्यों ऐसा लगता है कि,
हमारे बीच की दूरी कुछ ज्यादा ही होती जा रही है.


तेरी याद मुझे हर पल आ रही है,
तन्हाई में तेरी याद बेहद रुला रही है.


तेरी बांहों में आकर जो सुकून मिलता है,
वो दुनिया में कहीं और नज़र नहीं आता.


तेरी जुदाई में मिलन की भूख बढ़ती जा रही है,
मगर सिवा तेरे कुछ भी नहीं भाता.


बता दे जल्दी से मेरी भूख कब मिटा रही है.
भूख से बेहाल को तेरी याद बेहद सता रही है.


तेरी याद मुझे हर पल आ रही है,
तन्हाई में तेरी याद बेहद रुला रही है...



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