Saturday 10 September 2011

163. दिल में बसने लगे हो तुम.


आकर ख्यालों में अब हर पल मेरे,
दिल में बसने लगे हो तुम.


मेरी जिन्दगी के न जाने क्या-क्या ,
सपने रचने लगे हो तुम.


जाएँ तो जाएँ कहाँ अब जहाँ में,
तुम बिन दिल कहीं लगता नहीं.


तुम्हें कैसे कहें और क्या कहें,
दिल पर जोर अब चलता नहीं.


तुम बिन तन्हा रहें तो कैसे रहें,
मेरी जिन्दगी का हिस्सा बनने लगे हो तुम.


आकर ख्यालों में अब हर पल मेरे,
दिल में बसने लगे हो तुम.


अहसास ये तेरे प्यार का ,
किसी को समझाया नहीं जाता.


दिल में होती है हलचल क्या,
किसी को बताया नहीं जाता.


दिल में होता है कुछ-कुछ देखकर तुम्हें,
सब समझने लगे हो तुम,


आकर ख्यालों में अब हर पल मेरे,
दिल में बसने लगे हो तुम.


घंटों बातें करने पर भी तुमसे,
मन अब भरता नहीं है.


कोई क्या सोचता होगा हमारे बारे में,
दिल अब डरता नहीं है.


प्यार की एक नई कहानी ,
मेरे दिल पर लिखने लगे हो तुम.


आकर ख्यालों में अब हर पल मेरे,
दिल में बसने लगे हो तुम.....



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