तारे कितने प्यारे लागैं, काली रात नै ,
चैन कोनी आवे ,मेरे तन्हा गात नै.
मारू सूँ मसकोड़े मैं तो ,एकली पड़ी खाट मै,
नींद कोनी आवे मैंने,बैठी तेरी बाट मै.
रात भी ठण्ड की चपेट मै आग़ी,
कोई ना साथ मेरे ,मैंने तन्हाई खागी.
कोई तो आ के नै,मेरा हाथ थाम ले,
पूरा दूंगी साथ उसका,जो प्यार तै काम ले.
मज़े-मज़े मै सारी रात चैन तै कट ज्यागी,
बदन की गर्मी तैं,सर्दी सारी हट ज्यागी.
बार-बार करेगा याद,जब भी भीगेगा बरसात में,
रोवेगा कर कै याद मैंने,सोचेगा समाजा वा मेरे गात मै.
तारे कितने प्यारे लागै,काली रात नै ,
चैन कोनी आवे,मेरे तन्हा गात नै.
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