Saturday 10 September 2011

193. ओ सुन मेरी बात को


ओ सुन मेरी बात को ,
कि तू कल रात को .


मेरी बांहों में आकर सो गई ,
तन -मन से मेरी हो गई .


मेरे मन को बहलाया ,
थोड़ा दिल को समझाया .


कल फिर आउंगी ,
वादा आज निभाया .


ये कह के गुम वो हो गई , 
सपनों में मेरी हो गई .


ओ सुन मेरी बात को ,
कि तू कल रात को .


मेरी बांहों में आकर सो गई ,
तन-मन से मेरी हो गई .


ना सोच पुण्य-पाप को ,
कि तू अपने-आपको .


मेरे हवाले कर दे ना ,
झोली मेरी भर दे ना.


सपने को सच तू कर दे ना ,
मुझको इतना मोह गई .


ओ सुन मेरी बात को ,
कि तू कल रात को .


मेरी बांहों में आकर सो गई ,
तन-मन से मेरी हो गई.


तुझसे प्रीत लगनी है ,
बाकी दुनिया बेगानी है .


ना कोई बात समझानी है ,
इतनी तो तू भी सयानी है .


अब किस- किस को बताऊँ 
तू दिलो-जान से मेरी हो गई .


ओ सुन मेरी बात को ,
कि तू कल रात को .


मेरी बांहों में आकर सो गई ,
तन-मन से मेरी हो गई ...


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