Sunday 4 September 2011

131. एक नार बिरानी ,एक राड़ बिरानी


एक नार बिरानी ,एक राड़ बिरानी.
इन तै  लो पंगा जै धड़ तै हो नाड़ तरानी.


जै औरां की राड़ में तू छुडावन जावगा,
इसी लाग ज्यागी मार,ना खाट तै उठन पावगा.


पड़ा-पड़ा याद करेगा भलाई करण की कहानी.
एक नार बिरानी ,एक राड़ बिरानी ,


इन तै लो पंगा जै धड़ तै हो नाड़ तरानी.
कुछ अलग ही है कहानी,जै हो नार बिरानी.


मीठी-मीठी बातां तै कर दे माणस का पानी.
रींड मै सारे बदन नै उघाड़ दे,


भरोसे मै ले कै कती तै उजाड़ दे.
बीज भी बोवन खातर ना छोडे वा रानी.


एक नार बिरानी,एक राड़ बिरानी,
इन तै लो पंगा जै धड़ तै हो नाड़ तरानी.


गाड़ी मै बिठा के पड़े वा घुमानी,
आच्छी-आच्छी चीजां की हो स वा खानी.


पड़े रोज नए-नए होटल मै ले जाणी,
घर नै करा दे निलाम,ज़मीन करा दे बिरानी.


एक नार बिरानी,एक राड़ बिरानी,
इन तै लो पंगा जै धड़ तै हो नाड़ तरानी.


बिरानी राड़ मै पड़ के ,
बेकार का लेना पड़ ज्या स पंगा.


बिरानी नार के चक्कर मै,
माणस हो ज्या स बिल्कुल नंगा.


इस तरह इन दोनवा की ,
स एक सी कहानी.


एक नार बिरानी,एक राड़ बिरानी,
इन तै लो पंगा जै धड़ तै हो नाड़ तरानी...







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