Friday 2 September 2011

95. अगर तुम आजमाओगे


अगर तुम आजमा के देखोगे,
किसी को अपना ना पाओगे.


अपनों को भी खो बैठोगे,
अगर तुम आजमाओगे.


कौन अपना है,कौन पराया,
क्या करोगे ये जानकर.


हम सबके हैं तो सब अपने हैं,
जीवन जिओ ये मानकर.


दूसरों को बुरा बताओगे,
तो खुद बुरे कहलाओगे.


अपनों को भी खो बैठोगे,
अगर तुम आजमाओगे.


मत देखो बुराई किसी में भी ,
तुम उनकी अच्छाई को जान लो.


सभी में एक ना एक गुण तो अवश्य होता है,
तुम उसी को पहचान लो.


इस तरह से तुम सभी के,
दिल में बस जाओगे.


अपनों को भी खो बैठोगे,
अगर तुम आजमाओगे.


पहले हम किसी की इज्जत-मान करेंगे,
तो वो भी हमें सम्मान देंगे.


हम किसी को दिलो-जान से चाहेंगे,
तो वो भी हमारे लिए जान देंगे.


कामयाब हो जाओगे, अगर
"जैसा करोगे-वैसा भरोगे "को अपनाओगे.


अपनों को भी खो बैठोगे,
अगर तुम आजमाओगे.


चार दिन की जिंदगी को ,
हँस के गुजर लो.


प्यार से जी लो,
नगद चाहे उधार लो.


बिन प्यार के जीवन जीना,
जीवन खोना है.


प्यार के बिना हँसना भी ,
हँसना नहीं रोना है.


प्यार से नफरत करने वालों,
मरकर भी चैन ना पाओगे.


अपनों को भी खो बैठोगे,
अगर तुम आजमाओगे.


अगर तुम आजमा के देखोगे,
किसी को अपना ना पाओगे..







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