Saturday 10 September 2011

159. जिन्दगी कुछ भी नहीं बिन तेरे


जिन्दगी कुछ भी नहीं बिन तेरे,
और क्या मैं तुमसे कहूं ,तू ही बता.


मेरी जिन्दगी में आकर इसे सफल कर दे,
ना हर पल मुझको तू सता.


तू है तो मैं जिन्दा हूँ,
बिन तेरे समझो मैं मर गया.


कितना बिगड़ गया था तुमसे दूर रह के,
बस तेरे आने से संवर गया.


बहार की तरह आकर मेरी जिन्दगी में,
क्यों मुंह मोड़ लिया,क्या हो गई मुझसे खता.


जिन्दगी कुछ भी नहीं बिन तेरे,
और क्या मैं तुमसे कहूं ,तू ही बता.


बीडी-सिगरेट का नशा भी छोड़ दिया,
मयखाने से भी मुंह मोड़ लिया.


बड़ी आस लेकर आया था तेरे मन-मंदिर में,
तूने मेरा प्यार-भरा दिल तोड़ दिया.


मैं लिपटा रहना चाहता था तुझसे ऐसे,
पेड़ से लिपटी रहती है जैसे लता.


जिन्दगी कुछ भी नहीं बिन तेरे,
और क्या मैं तुमसे कहूं,तू ही बता.


तेरी सादगी पे मर गए हम,
मेरे जीवन में थे कितने गम.


भूल गया दुःख दुनिया-भर के पाकर तुझे,
दुखों का अब क्या मैं करता.


जिन्दगी कुछ भी नहीं बिन तेरे,
और क्या मैं कहू,तू ही बता.


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