Saturday 3 September 2011

102. जिन्दा लोगों को मुर्दा कैसे कहें,


जिन्दा लोगों को मुर्दा कैसे कहें,
जिन्दा लोगों को मुर्दा कैसे कहें.


जिस्म से जो जिन्दा हैं,
मन से मगर मर गए.


जीने की चाहत लेकर आये थे,
जिन्दगी से मगर डर गए.


आँख खुली होने पर,
पलकों को पर्दा कैसे कहें.


जिन्दा लोगों को मुर्दा कैसे कहें,
जिन्दा लोगों को मुर्दा कैसे कहें.


हौंसला नहीं है जिनमें,
मुसीबतों से लड़ने का.


सहस नहीं है उनमे ,
कुछ भी कर गुजरने का.


साँस की  बीमारी हो जिनको,
धुल का गर्दा कैसे सहें.


जिन्दा लोगों को मुर्दा कैसे कहें,
जिन्दा लोगों को मुर्दा कैसे कहें.


ज्योत जलानी होगी ,
उनमें नौ-जवानी की.


कसम खिलानी होगी उनको,
भारत-माँ रानी की.


भारत -माँ के बैगेर ,
भला तन्हा वो कैसे रहें.


सच बोलने की कसम खाकर,
झूठ भला वो कैसे सहें.


जिन्दा लोगों को मुर्दा कैसे कहें,
जिन्दा लोगों को मुर्दा कैसे कहें..



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