Friday, 2 September 2011

90. जिनको कहते थे हम अपना


जिनको कहते थे हम अपना  सिर्फ अपना कभी,
वो छोड़कर चले गए हमें अकेले अभी-अभी.


उनके बगैर जिन्दगी हो गई तनहा अपनी,
ये जानते हैं लोग सभी.


वो हमारी चाहत बन गई थी,
उन्होंने भी हमें दिल में बसाया था ,


जिस रूप में हम चाहते थे उन्हें ,
उन्होंने भी हमें उसी रूप में अपनाया था .


मैं कहता था उनको चाँद अपना,
वो कहती थी मुझे अपना रवि.


जिनको कहते थे हम अपना सिर्फ अपना कभी ,
वो छोड़कर चले गए हमें अकेले अभी -अभी.


क्या वजह हुई कि वो इतनी जल्दी बदल गए ,
हम तो उनकी जुदाई की आग में जल गए.


वो ठीक से समझ भी ना पाए थे हमें कि ,
औरों की बातों से बहक गए.


अपने दिल के आईने में उनकी तस्वीर ,
उकेरी थी हमने अभी-अभी.


जिनको कहते थे हम अपना सिर्फ अपना कभी,
वो छोड़कर चले गए हमें अकेले अभी-अभी.


कितनी मुस्किल से भाता है दिल को कोई,
ये दिल-ए-नादान क्या जाने.


कैसे सहन करता है अपनों की जुदाई कोई,
ये पत्थर -दिल क्या पहचानें .


टूटता है जब अपना दिल किसी का,
ये दर्द मालूम होता है तभी.


वो छोड़कर चले गए हमें अकेले अभी-अभी,
जिनको कहते थे हम अपना सिर्फ अपना कभी.





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