Friday, 2 September 2011

89. वो जुदा जब हमसे हुए


वो जुदा जब हमसे हुए तो ,
उनकी आँखों से आंसूं बह रहे थे.


दिल तोड़ने वाले जा ,तुझसे न दिल लगायेंगे कभी,
दिल ही दिल में यही कह रहे थे.


वो बात कुछ ऐसी ही कह गए थे,
खुद शर्म से सिर झुकाए हुए थे.


उनकी वो बात खटक गई थी हमें,
दिल में उठे दर्द को हाथ से दबाये हुए थे.


हमारी एक न सुनने का मूड था उनका,
दर्द-ए-दिल को चुपके से सह रहे थे.


वो जुदा जब हमसे हुए तो,
उनकी आँखों से आंसूं बह रहे थे.


वो सोचते थे उस शायद यही,
आज रूठे हैं कल मना लेंगे.


उनको ना मालूम था हम जिन्दगी-भर,
ना मिलने कि कसम खा लेंगे.


कभी बात ना करेंगे उनसे हम ,
दिल ही दिल  में ये फैसला कर रहे थे.


वो जुदा जब हमसे हुए तो,
उनकी आँखों से आंसूं बह रहे थे.


अब किसी से ना प्यार करेंगे कभी,
तन्हा ही जिन्दगी बिता लेंगे.


किसी ना करेंगे इंतजार कभी,
खुद ही गला दबा लेंगे.


तेरे बिना मर जायेंगे तन्हा,
तुमने एक ना सुनी,कब से ये कह रहे थे.


वो जुदा जब हमसे  हुए तो,
उनकी आँखों से आंसूं बह रहे थे.









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