Friday, 2 September 2011

88. बिन आई में मार दिया


क्यों तूने ऐसा जुल्म किया ,
बिन आई में मार दिया.


क्या दिल में तेरे जगह ना थी ,
जो फेंक दिल से बहार किया.


ये माना कि तुम्हारे दिल में,
कोई और रहता है.


तेरे बिन मर जाऊँगा ,
हर पल यही कहता है.


मगर सोचो बिन तुम्हारे,
हम भी कब जिन्दा हैं.


हम तो दिलों की कैद में ,
रहने वाले परिंदा हैं.


वो और लोग होंगे,जो खुश होते हैं,
दिल की कैद से आज़ाद होकर.


तो पीछे पड़े हैं तुम्हारे,
कब से मुंह-हाथ धोकर.


तुम अपने दिल में कैद कर लोगी,
यही सोचकर इतना इंतजार किया.


क्या दिल में तेरे जगह ना थी,
जो फेंक दिल से बहार किया,


मैंने अपना सब कुछ भुलाकर ,
तेरी परछाई से भी प्यार किया.


तेरा दिल किस पे अटका था,
जो मुझे बेकार समझ इंकार किया.


क्यों की तूने बेवफाई,
ये क्या तूने मेरे यार किया.


क्यों तूने ऐसा जुल्म किया ,
बिन आई में मार दिया.


क्या दिल में तेरे जगह ना थी ,
जो फेंक दिल से बहार किया...





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